काश तू ऐसी होती

काश तू ऐसी होती...
हंसती, मुस्कुराती, मेरा हर एक गम यु ही मिटाती, इस हरियाली में हवाओं सी खुश्बुओं के जैसी होती,
काश तू ऐसी होती...

मैं हँसते - हँसते जब यूँ ही
मायूस हो जाता हूँ, थका सा - हारा सा
जाने कहाँ खो जाता हूँ ,
तू एक दुआ होती उस वक्त रात के जुगनुओं के जैसी होती,
काश तू ऐसी होती...
हंसती, मुस्कुराती, मेरा हर एक गम यु ही मिटाती, इस हरियाली में हवाओं सी खुश्बुओं के जैसी होती,
काश तू ऐसी होती...

जब मुश्किलों के थपेड़ों में, मैं डूबा होउ तूफानों के अंधेरों में, जब किसी खास की तलाश हो, किसी के न मिलने की आश हो,
काश! ये सब कुछ बेअसर होता
जब तू सामने होती,
काश तू ऐसी होती...
हंसती, मुस्कुराती, मेरा हर एक गम यु ही मिटाती, इस हरियाली में हवाओं सी खुश्बुओं के जैसी होती,
काश तू ऐसी होती...

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

व्यस्त संसार में व्यक्तिगत जीवन

दिल की बात: एक ख्वाब -2