संदेश

व्यस्त संसार में व्यक्तिगत जीवन

चित्र
कैसे अपनी हसरतों से वाकिफ़ कराऊँ तुझे, अपने मन की उस गहराई को कैसे दिखाऊं तुझे, कैसे अपनी हसरतों..... तेरी हर एक आहट पर नजर है मुझको, हरकतों की हर एक खनखनाहट की खबर है मुझको, पर हैं कुछ बातें जो जिम्मेदारियों के नीचे दब के रह जाती हैं, उन बातों की आहट की कैसे एहसास दिलाऊं तुझे, कैसे अपनी हसरतों से वाकिफ़ कराऊँ तुझे, अपने मन की उस गहराई को कैसे दिखाऊं तुझे... हैं कुछ अच्छी बातें भी मुझमे पर बताने को वक्त ने लगाम लगा रखा है, अपनी धड़कनों की नग्मों को मैं भी गुनगुनाता पर कुछ अड़चनों ने गले में जाम लगा रखा है ...... उन बातों, उन नग्मों को कैसे मैं बताऊं तुझे कैसे अपनी हसरतों से वाकिफ़ कराऊँ तुझे, अपने मन की उस गहराई को कैसे दिखाऊं तुझे... इस भीड़ के बाद तनहा मैं भी होता हूँ, सोचता हूँ भली बुरी बातों पर, मायूस भी होता हूँ तुझसे तकरार का पल पल याद है मुझको,  और कारण भी ऐ जिंदगी पर यह व्यस्त संसार में व्यक्तिगत जीवन है  ये मैं कैसे बतलाऊँ तुझे कैसे अपनी हसरतों से वाकिफ़ कराऊँ तुझे, अपने मन की उस गहराई को कैसे दिखाऊं तुझे... ****************

कौन कहता है मैं अकेला हूँ

चित्र
कौन कहता है मैं अकेला हूँ, ये माया का जो जाल व्हाट्सप्प व् यूट्यूब ने बना रखा है, करोङो को कहीं किसी वजह से  तो कहीं बिना किसी वजह के ही फंसा रखा है, उन्हीं में से मैं भी उसका एक चेला हूँ, कौन कहता है मैं अकेला हूँ......  बस मोबाइल का इंटरनेट ख़तम न हो,  सोशल मीडिया का ये भेंट ख़तम न हो, कम पड़ जायेंगे कुदरत के बनाये ये दिन २४ घंटे के, बस मेरे प्यारे मोबाइल की बैटरी ख़तम न हो, कैसे बताऊँ इसके अभाव में या फिर नेट जाने के बाद में  मैं क्या - क्या झेला हूँ, कौन कहता है मैं अकेला हूँ..... क्या जरूरत है परफ्यूम पर पैसे उड़ाने की रोज नहाने और लोगों को दिखाने की, बस वो सेल्फ़ी ही काफी है सुबह की  जो मुँह धुलने के बाद खींच कर  स्टेटस में लगाता हूँ, राजा हूँ अपने ग्रुप का  ग्रुप में हर खेल खेला हूँ, कौन कहता हैं मैं अकेला हूँ.... 

कल फिर गुजरा था उस गली से

चित्र
कल फिर गुजरा था उस गली से जहाँ वर्षों पहले कुछ यादें छोड़ आया था कुछ जुस्तजू, कुछ चाहत सब कुछ जोड़ आया था.. कल फिर गुजरा था उस गली से जहाँ वर्षों पहले कुछ यादें छोड़ आया था... वो वादियाँ वो मस्तियाँ आज भी याद हैं वो हाथों में हाथें डाले खेतों में सरसों की वो फुलझड़ियां नदी का वो किनारा आज भी याद है वो खिलखिलाता चेहरा, मासूमियत था गहरा जिसको यूँ ही छोड़ आया था कल फिर गुजरा था उस गली से जहाँ वर्षों पहले कुछ यादें छोड़ आया था कुछ जुस्तजू, कुछ चाहत सब कुछ जोड़ आया था कल फिर..... वो गली जहाँ चलना और मचलना सीखा था, हवाओं के साथ उड़ना और भंवर ना सीखा था क्या मजाल जो कोई छोर ले एक तिनका इन हाथों से, बचपन के उस राह पर वो गरजना सीखा था आज कल तो सब कुछ जैसे भूल सा गया है वो चाक - और मिट्टी से जो पहाड़ा जोड़ आया था कल फिर गुजरा था उस गली से जहाँ वर्षों पहले कुछ यादें छोड़ आया था कुछ जुस्तजू, कुछ चाहत सब कुछ जोड़ आया था.. कल फिर..... ये बचपन चीज ही ऐसी है जो ता उम्र के लिए एक मीठी याद बनाती है, चाहें कुछ पानी हो या फिर हवा खुद ही जहाज बनती, तैराती और उड़ाती है ऐसी ही कुछ यादों

काश तू ऐसी होती

चित्र
काश तू ऐसी होती... हंसती, मुस्कुराती, मेरा हर एक गम यु ही मिटाती, इस हरियाली में हवाओं सी खुश्बुओं के जैसी होती, काश तू ऐसी होती... मैं हँसते - हँसते जब यूँ ही मायूस हो जाता हूँ, थका सा - हारा सा जाने कहाँ खो जाता हूँ , तू एक दुआ होती उस वक्त रात के जुगनुओं के जैसी होती, काश तू ऐसी होती... हंसती, मुस्कुराती, मेरा हर एक गम यु ही मिटाती, इस हरियाली में हवाओं सी खुश्बुओं के जैसी होती, काश तू ऐसी होती... जब मुश्किलों के थपेड़ों में, मैं डूबा होउ तूफानों के अंधेरों में, जब किसी खास की तलाश हो, किसी के न मिलने की आश हो, काश! ये सब कुछ बेअसर होता जब तू सामने होती, काश तू ऐसी होती... हंसती, मुस्कुराती, मेरा हर एक गम यु ही मिटाती, इस हरियाली में हवाओं सी खुश्बुओं के जैसी होती, काश तू ऐसी होती...

हवा का झोंका है ये ज़िन्दगी

चित्र
हवा का झोंका है ये ज़िन्दगी, कैसे गुजर जाएगी, खबर भी न पाओगे। ये जो बनाते हो महल ख्वाब के हर वक्त, कैसे टूट जाएगी खबर भी न पाओगे कहते हो वक्त ही नहीं है, थोड़ा सा मन-मस्ती करने के लिए, दुनिया के इस दरिया में, कुछ गोता भरने के लिए, ये वक्त है वक्त कब निकल जायेगा पकड़ भी न पाओगे, ये जो बनाते हो महल ख्वाब के हर वक्त, कैसे टूट जाएगी खबर भी न पाओगे, हवा का झोंका है ये ज़िन्दगी, कैसे गुजर जाएगी, खबर भी न पाओगे। लाख रहो मशगूल थोड़ा वक्त भी निकालो, ज़िन्दगी एक बार मिली है चलो जी लो और कुछ अपनो को भी सम्भालो ये कब्र जो आँखें बिछाए पड़ी हैं कब उठा ले जाएगी खबर भी न पाओगे ये जो बनाते हो महल ख्वाब के हर वक्त, कैसे टूट जाएगी खबर भी न पाओगे, हवा का झोंका है ये ज़िन्दगी, कैसे गुजर जाएगी, खबर भी न पाओगे।

क्या होता कहीं तू यूँ ही रूठ जाती

चित्र
क्या होता कहीं तू यूँ ही रूठ जाती... ये मुस्कुराना, खिलखिलाना, नज़रों से नज़रें मिलाना, सब कुछ यूँ ही छूट जाती, क्या होता कहीं तू यूँ ही रूठ जाती... ये डर हर पल डराये जाती है, धड़कनों को आग सी जलाये जाती है, ये सब्र कभी दिल को हो नहीं पाता, जब मै ही तू हूँ, फिर क्यूं मुझे सताए जाती है, ये धड़कन, ये सब्र यूँ ही टूट जाती, क्या होता कहीं तू यूँ ही रूठ जाती... ये मुस्कुराना, खिलखिलाना, नज़रों से नज़रें मिलाना, सब कुछ यूँ ही छूट जाती, क्या होता कहीं तू यूँ ही रूठ जाती कुछ पल की नज़र ही काफी होती है, नज़रों को समझाने के लिए, तेरी जुस्तजू, तेरी आरज़ू को यादों में बसाने के लिए, उस आहट को मुस्कराहट को समझता हूँ मैं लेकिन कुछ पल होते ही ऐसे हैं, धड़कनों को जलाने के लिए, ये संजीदगी, ये शर्माहट यूँ ही लूट जाती, क्या होता कहीं तू यूँ रूठ जाती... ये मुस्कुराना, खिलखिलाना, नज़रों से नज़रें मिलाना, सब कुछ यूँ ही छूट जाती, क्या होता कहीं तू यूँ ही रूठ जाती

सुना है कल याद किया था किसी ने मुझे

चित्र
सुना है कल याद किया था किसी ने मुझे, ये मोहब्बत है या कुछ और बताना मुश्किल है... हिचकी भी आयी थी एक बार मां से जिक्र भी किया था, मां भी निकली सयानी बोली कम कम ही निवाला डाला कर गले में रोटी अंदर को फंस आयी है पानी से ही चली गयी थी या था कुछ और ये बताना मुश्किल है... सुना है कल याद किया था किसी ने मुझे, ये मोहब्बत है या कुछ और बताना मुश्किल है... एहसास भी हुआ था एक बार मुझे, कुछ है जो कर रही परेशां, किसी ने कहीं याद तो नहीं किया मुझे, पल पल कर दिन गुजरा उस गर्मी का ये उमस थी या कुछ और बताना मुश्किल है सुना है कल याद किया था किसी ने मुझे, ये मोहब्बत है या कुछ और बताना मुश्किल है... चांदनी रात और छत का वो नजारा, ये गलतफहमी थी या हक़ीक़त  लेकिन फिर उमड़ी थी दोबारा किसी ने दिया था पानी  खाना भी खा लिया था  लेकिन पानी की एक घूंट ने  जैसे जान ही ले लिया था  भाभी ने कहा पानी का सरकना तो  किसी के याद करने की निशानी है कौन है वो किसकी ये कहानी है  ये हक़ीक़त थी या कुछ और  बताना मुश्किल है... सुना है कल याद किया था किसी ने मुझे, ये मोहब्बत है