मेरी और तुम्हारी कहानी कुछ यूं रही

मेरी और तुम्हारी कहानी कुछ यूं रही
मैं चाहा था हर वक्त तुझे लेकिन तू चाहत से दूर रही
मेरी और तुम्हारी कहानी……

याद है पहली बार तेरे दीदार से ही परितृप था,
उमंगें भी बहुत थी मन में, अचल ख्यालों में लिप्त था,
तेरा मुस्कुराना, खिलखिलाना और न जाने क्या-क्या तू रही
मेरी और तुम्हारी कहानी कुछ यूं रही…

हर वक़्त तेरे ख्यालों में गोता खाता हूं अब भी,
बस मिले थोडी सी आहट खींचा जाता हूं अब भी,
बहानों की तलाश में तेरे पास आने की आश में,
बेचैन रहता हूं इतना कि मेरी वक्त भी मुझको ढूंढ रही,
मेरी और तुम्हारी कहानी कुछ यूं रही…

तेरी इबादत में भी मेरा ख्याल हो,
बस यही ख्वाहिश रहती है कब से,
ख्वाब, दुआ सब तेरे दास हों
काश मैं मांग लेता रब से,
पर तेरी अंजानी ये आंखें
मेरी हर एक आहट से दूर रही,
मेरी और तुम्हारी कहानी कुछ यूं रही…

गर होता हूं सामने कुछ आहट तो दिया कर,
भले कुछ न बोल कुछ इशारे तो किया कर,
ये धड़कने तुझसे कुछ आहट लेती रहें,
मेरी अधूरी इन नजरों को कुछ राहत देती रहें,
ये मंजर जैसे खंजर तेरे बिन न जुस्तजू रही,
मेरी और तुम्हारी कहानी कुछ यूं रही....

हर दिन तेरे दिखने और मिलने की आश में, 
खोया सा रहता हूं जब होती न पास में,
हंसना भी दूर होता ख्याल तेरा आ जाता है, 
एक रंग उदासी का यूं ही छा जाता है,
तेरे आते ही कण-कण में ख़ुशी जैसे झूम रही,
मेरी और तुम्हारी कहानी कुछ यूं रही….

ये इश्क़ है या नशा समझना मुश्किल है, 
तेरे दीदार की ख्वाहिश पर मुकरना मुश्किल है,
हां ये जरूरी नहीं की पास ही रहो तुम हरदम,
पर तुमसे बिछड़ कर संवारना मुश्किल है,
कुछ सादगी, दीवानगी, कुछ दिल्लगी भी तू रही,
मेरी और तुम्हारी कहानी कुछ यूं रही.....  

एक नजर देखना ही बेजारी है मेरे लिए 
होता हूं जब आस-पास तेरे,
जुस्तजू हो आरजू हो सब कुछ किनारे चली जाती हैं, 
जब दिल हो तेरा पास मेरे,
काश तू भी होती साथ मेरे जिस तरह ये जुस्तजू रही,
मेरी और तुम्हारी कहानी कुछ यूं रही.....

तेरा सजना संवरना या फिर जलना किसी वजह से,
ख़ुशी ही है मेरे लिए एक प्यारी सी,
उठती है जलन की आग मेरे अंदर भी कभी,
लेकिन वह होती है प्यारी सी,
अरसों से इस समंदर में लहरों की आरजू रही,
मेरी और तुम्हारी कहानी कुछ यूं रही.….

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